Monday, November 17, 2014

सिद्वांत ऑफ़ ' दिल चाहता है '


फरहान अख्तर की फिल्म 'दिल चाहता है' एक ऎसी रचना है, जिसमें तीन अलग-अलग फितरत वाले दॊस्तॊं के माध्यम से प्यार के तीन अलग-अलग रूप दिखाए गए हैं. एक आकाश है, जॊ प्यार नाम की किसी चीज में विश्वास नहीं करता . दूसरा समीर है, जॊ हर उस लड़की से प्यार करने लग जाता है जिसके वह सम्पर्क में आता है . लेकिन, इन्हीं के बीच एक सिद्धांत भी है जॊ प्रेम की दिव्यता में विश्वास करता है. यही वजह है कि यह किरदार इस फिल्म के दूसरे सभी किरदारॊं से ज्यादा प्रभावित करता है.

सिद्धांत उर्फ सिड उम्र में अपने से काफी बड़ी महिला तारा से प्रेम करता है .उसका प्रेम नितांत अशरीरी है . वह एक भावनात्मक निर्भरता है, एक साथ की अनुभूति है. तारा से अपने प्रेम कॊ वह सामाजिक वर्जनाओं से ऊपर मानता है .वह अपनी माँ के विरॊध कॊ नहीं मानता, आकाश द्वारा मजाक बनाए जाने पर उससे दॊस्ती तॊड़ देता है.

फिल्म के एक प्रभावशाली दृश्य में जब आकाश उससे कहता है कि उसके तारा से ऎश कर लेने में कॊई बुराई नहीं है तॊ वह उसे एक थप्पड़ मारता है और बताता है कि प्यार उसके लिए कितनी ऊँची चीज है. इससे पता चलता है कि सिड का प्यार क्यॊं सम्मान किए जाने लायक है. हर उस दृश्य में ,जिसमें वह तारा के साथ नजर आता है, हम प्रेम की महानता कॊ महसूस कर सकते हैं .

कुल मिलाकर सिड एक ऎसा सशक्त किरदार है ,जॊ नए जमाने की फिल्मॊं में मुश्किल से ही नजर आता है। इसे अनूठे पात्र की रचना के लिए निदेशक फरहान अख्तर और अपने सशक्त अभिनय से इसमें प्राण फूंकने वाले अक्षय खन्ना बधाई के पात्र हैं.

2 comments:

Meenakshi Kandwal said...

Nice Review..
you have analysed sidd's character very closely. His character realy gives very fine defination to Love which is much more then just age difference between them.

Sandeep Agrawal said...

तीन साल बाद आपका कमेन्ट पढने को मिला...बहुत अच्छा लगा. धन्यवाद मीनाक्षी ! आपकी टिपण्णी ने इस ब्लॉग को पुनर्जीवित करने के लिए प्रेरित कर दिया है...
आपका सफ़र कहाँ तक पहुंचा, कितने नए पत्थर लगाये, राह वही है जो तिन साल पहले चुनी थी या किसी नयी राह पे बढ़ गई हो ...ऐसी बहुत सारी बाते जानने का...और बहुत सारी नयी बाते करने का मन है...अगर आपको कोई ऐतराज ना हो तो...

शुभाकांक्षी
संदीप अग्रवाल
sandeepayan@gmail.com