यूं तो असित सेन निर्देशित फिल्म खामोशी पूरी ही फ्रेम -दर-फ्रेम दिल को छूती है, लेकिन इसका एक किरदार ऐसा है जो आपकी आत्मा को छूता है वो है इस की सहृदय नर्स राधा...
राधा एक मेंटल हॉस्पिटल मे काम करती है और बेहद संवेदनशील है.देव नमक एक मनोरोगी जो किसी लडकी के प्रेम मे धोखा खाकर उनके हॉस्पिटल मे आया है, राधा के प्यार और अपनेपन से ठीक हो जाता है .
राधा उसे ठीक करने की कोशिश मे खुद ही उससे प्यार करने लग जाती है. उस की भावनाओं से अनभिज्ञ देव हॉस्पिटल से बहार आकर अपनी नॉर्मल लाइफ मे रम जाता है और राधा को भुला देता है.
कुछ अर्से बाद अरुण नाम का एक और पेशेंट वहाँ आता है. इस बार राधा उसका केस लेने से मन कर देती है. मगर दूसरी नर्स के उसे ना संभल पाने की मज़बूरी के चलते राधा को ही अरुण को सँभालने के लिए आगे आना पड़ता है.
इस बार वो पूरी कोशिश करती है की बिना इमोशनल हुये वो अपना फ़र्ज़ निभाए लेकिन वो एक मशीन नहीं है. एक बार फिर उसे अरुण से प्यार हो जाता है ओर वो उसे ठीक करने मे सफल हो जाती है अपने पिछले अनुभव याद करते हुए वो बार बार खुद को याद दिलाती है की उसे सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभानी है. प्यार करना उस के काम का हिस्सा नहीं है.
अरुण ठीक होने के बाद राधा को प्यार करने लगता है, पर तब तक अपने अंतर्द्वंद के कारण राधा अपना मानसिक संतुलन खो चुकी होती है.
कर्तव्य और भावनाओं के द्वंद में घिरी एक अति संवेदनशील नर्स की भूमिका को बीते ज़माने की मशहूर अभिनेत्री वहीदा रहमान ने इस क़दर शिद्दत से अंजाम दिया है की इस रोल में उनके सिवा किसी और अभिनेत्री की कल्पना कठिन है.
राधा एक मेंटल हॉस्पिटल मे काम करती है और बेहद संवेदनशील है.देव नमक एक मनोरोगी जो किसी लडकी के प्रेम मे धोखा खाकर उनके हॉस्पिटल मे आया है, राधा के प्यार और अपनेपन से ठीक हो जाता है .
राधा उसे ठीक करने की कोशिश मे खुद ही उससे प्यार करने लग जाती है. उस की भावनाओं से अनभिज्ञ देव हॉस्पिटल से बहार आकर अपनी नॉर्मल लाइफ मे रम जाता है और राधा को भुला देता है.
कुछ अर्से बाद अरुण नाम का एक और पेशेंट वहाँ आता है. इस बार राधा उसका केस लेने से मन कर देती है. मगर दूसरी नर्स के उसे ना संभल पाने की मज़बूरी के चलते राधा को ही अरुण को सँभालने के लिए आगे आना पड़ता है.
इस बार वो पूरी कोशिश करती है की बिना इमोशनल हुये वो अपना फ़र्ज़ निभाए लेकिन वो एक मशीन नहीं है. एक बार फिर उसे अरुण से प्यार हो जाता है ओर वो उसे ठीक करने मे सफल हो जाती है अपने पिछले अनुभव याद करते हुए वो बार बार खुद को याद दिलाती है की उसे सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभानी है. प्यार करना उस के काम का हिस्सा नहीं है.
अरुण ठीक होने के बाद राधा को प्यार करने लगता है, पर तब तक अपने अंतर्द्वंद के कारण राधा अपना मानसिक संतुलन खो चुकी होती है.
कर्तव्य और भावनाओं के द्वंद में घिरी एक अति संवेदनशील नर्स की भूमिका को बीते ज़माने की मशहूर अभिनेत्री वहीदा रहमान ने इस क़दर शिद्दत से अंजाम दिया है की इस रोल में उनके सिवा किसी और अभिनेत्री की कल्पना कठिन है.